भव्य कोठी के बरामदे में शानदार कीमती कार खड़ी थी। जिसके पास बेहतरीन ड्रेस पहने प्रभावशाली व्यक्तित्व के व् कोठी का मालिक मुख्य दरवाजे तक चहलकदमी हुआ फ़ोन पर हँसता हुआ बात कर रहा था। मुख्य दरवाजे पर एक दीन -हीन व्यक्ति हाथ में झाडू लिए प्रकट हुआ और अनुनय भरे शब्दों में कहा-सेठजी, सुबह से सड़क पर सफाई कर हूँ। आसपास कहीं पानी नहीं है। कृपया पानी पिला दीजिये। मोबाईल पर बातचीत में व्यवधान से सेठजी थोड़ा रुष्ट हो गए और टालते हुए बोले- अभी कोई आदमी नहीं है। हाथ जोड़कर उसी आदमी ने फिर कहा-सेठजी, कुछ देर के लिए आप ही आदमी बन जाइए न !
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