ख़ुश रहे तू सदा .......
आपको कितनी ख़ुशी चाहिए, विकल्प आपके सामने है। ख़ुशी तो एक नज़रिया है, एक आदत है, जो रोज़मर्रा के अनुभवों से प्राप्त होती है।काम करने का आनंद एक दर्शन से भी अधिक मूल्यवान है। हम और आप जो भी काम करते हैं, उसमें सफलता और आनंद प्राप्त करना एक अलग प्रणाली है। आप हमेशा ही अपने सहयोगियों, अधिकारियों तथा अपने जूनियर्स का हँसकर स्वागत कीजिए। डाकघर में चाहे हम जिस पद पर भी काम करें, हर रोज़ आम पब्लिक से रू -ब-रू होते हैं। जब हम उनका स्वागत एक स्वाभाविक मुस्कान के साथ के करते हैं, उन्हें नमस्कार कहते हैं, तो वे खुश हो जाते हैं। भले वे अपनी शिकायत को लेकर गुस्से में हमारे पास आते हैं, हमारे अच्छे व्यवहार से, कुछ क्षण के लिए ही सही, अपनी शिकायत को भूल जाते हैं। और गुस्से की जगह सदाचार आ जाता है। जब उनकी शिकायत दूर हो जाती है, तो वे खुश होकर हमें धन्यवाद ज्ञापित करते हैं। इस प्रकार के क्रिया-कलाप से ग्राहकों का विश्वास हमारे प्रति और डाकघर के प्रति बढ़ता जाता है। और तब हम ख़ुशी का अनुभव करते हैं तथा इसका प्रभाव ताजिंदगी बरक़रार रहती है। इसके ठीक उलट जब हम ग्राहकों का नहीं करते, उसका कम संतोषप्रद नहीं होता है तो वे अपने गुस्से का इज़हार करते हैं, उन्हें टेंशन होता है और हमें भी। उस टेंशन में हम खुश नहीं रह सकते। तो आइये, हम डाकघर के ग्राहकों,अपने सहयोगियों, अधिकारियों एवं अपने जूनियर्स का मुस्कान के साथ स्वागत करें, उनका सम्मान करें और सदा खुश रहें।
एक चीनी कहावत है -
यदि आपको एक घंटा की ख़ुशी चाहिए, तब झपकी लीजिए !
एक दिन की ख़ुशी चाहिए तो पिकनिक पर जाइए !!
एक महीने की ख़ुशी के लिए शादी कर लीजिए !
एक साल की ख़ुशी के लिए विरासत में संपत्ति प्राप्त कीजिए
लेकिन, ज़िदगी भर की ख़ुशी के लिए अपने ग्राहक को सम्मान दीजिए...
लेकिन, ज़िदगी भर की ख़ुशी के लिए अपने ग्राहक को सम्मान दीजिए...
जयकृष्ण रजक |
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