शुक्रवार, 16 नवंबर 2012

धन्यवाद

     धन्यवाद 
        एक पादरी जंगल से गुजर रहा था कि सामने शेर आ गया। दर के मारे उसकी आँखें बंद हो गई। कुछ क्षण बाद जब उसने पलकें खोलीं तो देखा कि शेर भी पंजे जोड़े और आँखें मूंदे कुछ बुदबुदा रहा है।
        वह खुश होकर बोला, " भाई शेर, मुझे पता चल गया है कि तुम ईश्वर को मानते हो। सचमुच तुम भले हो, मैं तो यों ही डर गया था।"
         " हाँ, फ़ादर। मैं आज के भोजन के लिए ईश्वर को धन्यवाद दे रहा था।" शेर ने कहा और पंजे खोल दिया।
 -- एम्ब्रोस बियर्स 

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