रविवार, 2 दिसंबर 2012

प्रयास

प्रयास 
जंगल में भयानक आग लगी। सभी आग बुझाने में जुट गए। इसी जंगल में एक नन्हीं गोरैया भी रहती थी। सब आग बुझाने में जुटे थे तो गोरैया से भी नहीं रहा गया। वह भी अपनी चोंच में पानी भरकर आग पर डालने लगी। एक कौवा पेड़ की डाल पर बैठा उसे  देख रहा था। उसने गोरैया से मज़ाक उड़ाते हुए कहा - तुम्हारी चोंच का बूँदभर पानी आग नहीं बुझा पाएगा। गोरैया ने जवाब दिया- मुझे यह पता है, लेकिन एक और बात यह है कि जब कभी इस भयानक आग की चर्चा होगी तो मेरा नाम  न तो आग लगाने वालों में होगा और न तमाशा देखने वालों में। मेरा नाम लिया  तब आग बुझाने की कोशिश करने वालों में लिया जाएगा।         

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