मंगलवार, 27 अगस्त 2013

काहे होत अधीर

काहे होत अधीर
हड़बड़ी या जल्द्वाजी में काम करना मानवीय अवगुण है। यह अक्सर बने काम को भी बिगाड़ देता है। कहा भी गया है कि जल्दी काम शैतान का। कई बार यह लाभ को हानि, सफलता को विफलता में बदल देता है। इसके विपरीत धैर्य से किए गए काम टिकाऊ माने जाते हैं।  आज की दुनिया तेज़ गति की दीवानी  भले हो, लेकिन इस हड़बड़ी ने लोगों का चैन छिन लिया है और इसने अनेक रोगों को जन्म दिया है। हड़बड़ी पूरे जीवन क्रम को अस्त-व्यस्त ही नहीं कर देती, बल्कि परिवार और समाज में भी अव्यवस्था का कारण बनती है। हमारा मन-मस्तिष्क बेचैन हो जाता है। जो हमारे स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है। अधीरता अशांति कि जननी है। हर समय दौड़-धूप, हर काम में उतावलापन और अधीरता ने मनुष्य के मस्तिष्क को खोखला कर दिया है। चिंताओं ने उसे इतना कमजोर बना दिया है कि वह छोटी-छोटी परेशानी और हानि तक का सामना करने से कतराता है। ऐसे व्यक्ति के चेहरे पर उदासी, मायूसी और घबराहट आसानी से देखी जा सकती है। योग, स्वाध्याय चिंतन-मनन वगैरह से इससे छुटकारा पाया जा सकता है। शांत-चित रहने व मधुर व्यवहार की आदत बना ली जाय, तो हड़बड़ी या उतावलेपन को भगाया जा सकता है।                       

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