साहब की छुट्टी
सभी सरकारी दफ्तरों में अन्य कार्यों के अलावा एक महत्वपूर्ण काम साहब की निगरानी करना भी होता है। सबसे ख़ास काम यह पता लगाना होता है कि साहब छुट्टी पर हैं नहीं ? जिस किसीके पास यह छोटी-सी सूचना रहती है, वह महंगाई में सूर्ख टमाटर जैसा भाव है।
खबर पाकर वह अपने सबसे करीबी को फुसफुसाते हुए बताता है कि साहब कल छुट्टी पर हैं। इस सूचना के साथ ही यह हिदायत भी नत्थी होती हैं कि यह गोपनीय खबर है, किसी और को मत बताना। अगले कर्मचारी के पीठ फेरते ही दूसरा अपने खास तीसरे को धीमी आवाज़ में यह सूचना देता है और साथ ही इसकी गोपनीयता बनाये रखने की हिदायत भी जोड़ देता है। थोड़ी ही देर में ऑफिस के हर किसी को पता लग जाता है कि साहब, आज हाफ डे में चले जाएँगे और कल नहीं आएंगे। आज इस राज को सीने में छिपाए इस सिचुएशन का अधिकतम फायदा उठाने की प्लानिंग में जुट जाते हैं। उधर यह खबर अपनी यात्रा जारी ज़ारी रखती है और सरकती हुई ऑफिस के चाय की गुमटी, पान के ठेले वगैरह पर तशरीफ़ ले जाती है।ब्रांच ऑफिस से डाक लेकर आने वालों को भी यह बात मालूम पड़ जाती हैं कि साहब आज ई.एल.पर दिल्ली जा हैं।
ऑफिस के ज्यादातर कर्मी फ़ोन से इस जानकारी को पत्नी से शेयर करते हैं। समझदार पत्नियाँ इसमें छिपे भावों को ग्रहण कर खिल उठती हैं। कुछ पूछती हैं कि-आप कहें, तो पड़ोसन रामप्यारी देवी को भी यह खबर बता दूँ। उसे शिकायत हैं कि उसके घोंचू पति को मालूम ही नहीं रहता कि ऑफिस मे क्या चल रहा है।
यह सूचना मिलते ही ऑफिस का माहौल रंग-बिरंगा हो जाता है। सभी रिलैक्स मूड में आ जाते हैं। जल्दी घर जाने और देर से ऑफिस आने की होड़ लग जाती है। कुछ बैंक, नगर निगम, आयकर का पेंडिंग काम छांट लेते हैं, कुछ शॉपिंग, तो कुछ घर पर चाय-पकौड़े साथ-साथ पूरे आराम की योजना बनाते हैं।
ऑफिस व्यवस्था में ऐसी सूचना देने वाले को सब जगह सम्मान की नज़र से देखा जाता है, जबकि गलत सूचना देनेवाले का हुक्का-पानी बंद। सही सूचना देनेवाले के साथ कई लोग तो भविष्य के करार भी कर लेते हैं। (मृदुल कश्यप)
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