रविवार, 24 फ़रवरी 2013

बहाना

बहाना 

           रितेश एक कार्यालय सहायक है। एक दिन उसने अपने कार्यालय पहुँचकर  अपने अधिकारी से अपने दादाजी के दाह संस्कार में शामिल होने की बात कहकर उस दिन की छुट्टी की मांग की। अधिकारी ने उसे छुट्टी दे दी। थोड़ी देर बाद एक बूढ़ा आदमी कार्यालय में आया और रितेश के बारे में पूछताछ करते हुए अधिकारी से मिला और कहा, "सर, रितेश मेरा पोता है। मैं उससे मिलना चाहता हूँ।"
          वह अधिकारी आश्चर्यचकित हुआ और मामले को भांपते हुए उसने कहा, "बाबा ! रितेश बाबु तो अभी कुछ  ही देर पहले छुट्टी लेकर आपके दाह संस्कार में शामिल होने के लिए यहाँ से चले गए है।"
            बूढा आदमी उस अधिकारी को कुछ देर तक देखता ही रह गया और कहा, " सर, सच बताइए न, बहुत जरूरी काम है।"
             अधिकारी ने कहा, " सच कह रहा हूँ बाबा। वे यही कहकर गए हैं।"
             वह बूढा कुछ सोचते हुए लौट गया। जब वह बूढ़ा आदमी घर को लौटने लगा to रास्ते me उसकी नज़र एक पार्क में बैठे एक युवा जोड़ी पर ठिठक गयी। वह जोड़ी प्रेम-क्रीड़ा में लिप्त थी। उसे  सारा माज़रा समझ में आ चु का था। और वह अपनी आँखें बचाते हुए अपने रास्ते पर आगे बढ़ गया। 

बुधवार, 20 फ़रवरी 2013

दो शहरो की कहानी

दो शहरों की कहानी 

            एक मुसाफिर ने सड़क किनारे बैठी एक महिला से पूछा, " आगे जो शहर आनेवाला है उस शहर के लोग कैसे हैं?"
"तुम जहाँ से आए हो, उस शहर के लोग जैसे है।" 
मुसाफिर ने जवाब दिया, "बहुत बुरे लोग थे। स्वार्थी थे। भरोसेमंद भी नहीं थे। यानी हर तरह से नफरत के लाइक थे। 
महिला ने कहा- "ओह, बस इसी तरह के लोग तुम्हें इस शहर में भी मिलेंगे।" 
पहले मुसाफिर को गए हुए कुछ ही देर हुआ था कि दूसरा मुसाफिर आया और उसने भी यही सवाल किया। महिला ने उससे भी यही सवाल पूछा  कि पिछले शहर के लोग कैसे थे। दूसरे मुसाफिर ने जवाब दिया, "वे सब बहुत अच्छे थे। ईमानदार, मेहनती और दूसरों की ग़लतियों को नज़रअंदाज़ करनेवाले। मुझे उस शहर को छोड़ने में बहुत अफ़सोस हुआ।"  
उस विदुषी महिला ने कहा, " बस इसी तरह के लोग तुम्हें इस शहर में मिलेंगे।"